कविता
कुवार महिना नवरात दशहरा
कुवार महिना नवरात दशहरा बुराई म अच्छाई के जीत
दानव कुल के नाश करे पाप बर हे धरम के जीत
मन के अंदर बैठे रावण जुर मिल के सब जलावव
बगरे समाज म कुरीति नीति सब मिल के भगावव
दशहरा हे झुठ म सच्चाई के जीत
झन करव कोनो गरब गुमान
ये जीनगी के का ठिकाना हे
प्रीत मया बरोबर बाटव
ईही बात सबो ल समझाना हे
दशहरा हे भरोसा अऊ विशवास के जीत
दस मुंह दस भुजा देखाईस
रावण के अभियान टुटगे
सोन के लंका जल के राख भईगे
मेघनाथ असन वीर बेटा मरगे
दशहरा हे अहम अऊ हंकार के जीत
आज देख सब जगह म रावण बैईठे हे
मानवता के समाज सम्मान नईये
हर कोना कोना म राक्षस बैईठे हे
हर जगा रावण हे आज राम नईये
दशहरा हे असत्य म सत के जीत
नवरात परब विजयदशमी दशहरा तिहार
आप सबो झन ल गाड़ा गाड़ा जय जोहार जय जोहार
कवि- अनिल जागडे
भैसबोड (बिल्हा)
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