सिक्छा महतारी भासा म

 सिक्छा महतारी भासा म


मैं गीत गांहु नाचहु-बजाहु,
मंच म चढ़ के बड़का गोठ-गोठियाहू।
फेर छत्तीसगढ़ी भासा म,
पढ़ाई-लिखई के नाव म मूहँ लुकाहु।

छत्तीसगढ़ी भासा ल बयपार बनाहू,
छत्तीसगढ़ी गोठिया के पइसा कमाहु।
फेर लईका के महतारी भासा म,
सिक्छा दे के नाव म पाछु घुच जाहूं।

मोटा-मोटा किताब लिख के छपवाहुं,
बड़का-बड़का मंच म सम्मान पाहु।
छत्तीसगढ़ म महतारी भासा ल,
बगराये के नाव न फेर सूत जाहूं।

छत्तीसगढ़ म सब्बो मनखे संग,
छत्तीसगढ़ी भासा के गोठ-गोठियाहू।
महतारी भासा ल सिक्छा के माध्यम,
बनाये के रददा ल तभो ले भुलाहु ।

मैं छत्तीसगढ़ी म नाचहु-गाहु,
लिखहु-गोठियाहू पइसा कमाहु।
फेर छत्तीसगढ़ी भासा ल
सिक्छा के माध्यम नइ बनाहू।

रचनाकार
अनिल कुमार पाली
तारबाहर बिलासपुर
मो.न:- 7722906664


Post a Comment

0 Comments