#छत्तीसगढ़िया_साहित्यकार
#अनिल_कुमार_पाली
👉हमर संस्करीति ल बरबाद करत हे- "चुप बइठे हन"।
👉हमर पुरखा मन के नाव ल बदलत हे- "चुप बइठे हन"।
👉हमरे घर म खुसर के हमर उपर राज करत हे- "तभो ले चुप बइठे हन" "कइसे छत्तीसगढ़िया हवन हमन" ।
👉अपने राज म दूसर संस्करीति ल बोहे के पीरा अब्बड़ बड़े होथे समझाव।
मनखे मन अपन आंखी म देखे के बाद घलोक नइ समझ सकत हवय, की कइसे दूसर परदेस के मन सानो सवकत से अपन संस्करीति अउ अपन पुरखा के नाव ल छत्तीसगढ़ म बगरात हवय अउ हमन कइसे छत्तीसगढ़िया हवन चुप सूते हन, हमला काय करना हे कई के, अरे कब जागहु सब्बो चीज ह लूट जही तब जागहु का अपन अवइया पीढ़ी ल अपन लईका मन ल जिनगी भर परदेसी संस्करीति के गुलाम बनाये के बाद जागहु त कोनो काम नइ आही, जइसे-जइसे मनखे ल ये गोठ समझ म आही तब तक अब्बड़ देरी झन हो जावय अपने राज म दूसर संस्करीति ल बोहे के पीरा अब्बड़ बड़े होथे एही पीरा ल एक घव भारत माता के लईका मन बोहे हे एही पीरा ल एक हव छत्तीसगढ़ महतारी के लईका मन हमर पुरखा मन बोहे हे, फेर उमन बेरा रहत जाग के अपन छत्तीसगढ़ महतारी के नाव बनाये बर वो बेरा म अपन संस्करीति ल बचाये बर आघु आके लड़े हे, तभो ले अभी के छत्तीसगढ़िया मन अपन आंखी म देखे बुता ल भुला के कोंदा-भैरा बरोबर चुप बइठे हे, छत्तीसगढ़िया मन के अइसने चुप बइठे के फायदा उठा के बाहरी मन अपन तिहार-संस्करीति ल छत्तीसगढ़िया मन के मुड़ी म बोहावत जात हे, अउ छत्तीसगढ़िया मन बने चुप ओला बोह के रेंगत हे, न हुकत हे न भूकत हे, अइसने दिन कंहु बितत जाही त एक दिन छत्तीसगढ़ म छतीसगढ़ी संस्करीति छत्तीसगढ़ के पुरखा मन के नाव तको गंवा जाही।
👉अपन अवइया पीढ़ी ल अपन लईका मन ल जिनगी भर परदेसी संस्करीति के गुलाम बनाये के बाद जागहु त कोनो काम नइ आही।
👉बाहिर ले अवइया मनखे मन काबर हमर पुरखा मन के नाव, नदिया-तरिया के नाव ल बदल के अपन पुरखा ल इंहा स्थापित करत हे-
समझने वाला बात हवय की जब छत्तीसगढ़िया मन कोखरो तीज-तिहार-संस्करीति-पुरखा के विरोध नइ करे त बाहिर ले अवइया मनखे मन काबर हमर पुरखा मन के नाव, नदिया तरिया के नाव ल बदल के अपन पुरखा ल इंहा स्थापित करत हे, इमन जानाथे की छत्तीसगढ़िया मन कुछु कर तो नइ सकें, या तो छत्तीसगढ़ के मनखे जोजव हवय या छत्तीसगढ़ के मनखे कमजोर हवय तेखर बर अपन संस्करीति आपन पुरखा के नाव ल इंहा बगरा के कई बछर बर अपन आप ल।इंहा स्थापित करें कि सडयंत्र हवय ऐला जब तक छत्तीसगढ़िया मन समझी नइ तब तक छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढियावाद स्थापित नइ हो सकें।
#अनिल_कुमार_पाली
तारबाहर_बिलासपुर
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