पहली ले पांचवीं तक के सिक्छा महतारी भासा छत्तीसगढ़ी म होये ले जल्दी होही छत्तीसगढ़िया लईका के मानसिक विकास-

 पहली ले पांचवीं तक के सिक्छा महतारी भासा छत्तीसगढ़ी म होये ले जल्दी होही छत्तीसगढ़िया लईका के मानसिक विकास-


सब्बो प्रदेश म देखे बर मिलथे की उंहा के लईका मन ल पहली ले पांचवी तक के प्राथमिक सिक्छा उंखर महतारी भासा म दे जाथे, अउ नवा सिक्छा नीति म घलोक प्राथमिक शिक्षा ल महतारी भासा म दे के निर्णय ले हवय तभो ले छत्तीसगढ़ एक अइसे राज हवय जिन्हा के लईका मन अपन महतारी भासा ल एक विषय के रूप म पढ़े बर मिलत हे, जब कि छत्तीसगढ़ के सब्बो कोती छत्तीसगढ़ी भासा लिखे अउ गोठियाय जावत हवय, छत्तीसगढ़ी के संगे-संग छत्तीसगढ़ राज के सीमा म लगे जिला मन म छत्तीसगढ़ी भासा के संग गोंडी हल्बी कुडुख जइसे छेतरी भासा गोठियाय जावत हवय जेखर महातम उंहे तक सीमित होगे हे, जबकी पूरा छत्तीसगढ़ प्रदेश म इंहा के छेतरी भासा के महातम देखे ल नइ मिले।

महतारी भासा म प्राथमिक सिक्छा अनिवार्य हवय


भासा के विकास सबले पहली इस्कूल ले सुरु होथे, लईका मन ल कुछु भी बिसय ल सीखे बर अपन महतारी भासा म सीखे के समझे के अवसर मिले ले लईका के मानसिक विकास जल्दी होथे, छत्तीसगढ़ के महतारी भासा छत्तीसगढ़ी म पढ़ाई लिखाई होये ले छत्तीसगढ़ के लईका मन अपन राज अउ भासा के परति सम्मान बढ़ा सकथे, जेन भासा ल लईका ह जनमे के बाद अपन महतारी अपन परिवार से सिखथे ओहि भासा ल इस्कूल म पढ़े ले पढ़े लिखे के रददा आसन हो जथे, काबर की लईका पन ले ओहि भासा ल सबले पहली सीखे बर मिले हे, अब ओहि भासा म पढ़ाई करे बर मिलही त सीखे बर आसानी होही गोठियाय बर आसानी होही ऐखर संग म अपन भासा के सम्मान भी बढ़ही।

बाइस बछर बाद घलोक पूण रूप ले महतारी भासा म पढ़ाई नइ होवत हे

छत्तीसगढ़ राज ल बने बाइस बछर पुर गे हे अउ अतना बछर के बाद भी छत्तीसगढ़ राज म छत्तीसगढ़ी भासा म पढ़ाई नइ हो पाना दुर्भाग्य के बात हवय, काबर की कोई भी राज ह अपन भासा संस्करीति ले ही पहिचाने जाथे, कोनो भी राज के पहिचान ओखर भासा अउ संस्करीति ले ही होथे ऐखर बर जब तक छत्तीसगढ़ म छत्तीसगढ़ी भासा म पूण रूप ले पढ़ाई लिखाई नइ होही तब तक छत्तीसगढ़ के लईका मन अपन संस्करीति से नइ जुड़ पाही ऐखर बर जइसे सब्बो परदेस म अपन महतारी भासा म पढ़ाई होथे वइसेन छत्तीसगढ़ म घलोक लईका मन के सिक्छा उंखर महतारी भासा छत्तीसगढ़ी म होना चाहि।

छत्तीसगढ़ी भासा के लगातार होवत हे उपेक्षा, अपने राज म मेहमान बन गे हे छत्तीसगढ़ी भासा ह


छत्तीसगढ़ी भासा ल इस्कूल म सिक्छा के आधार नइ बना के ओला हिंदी के संग पढ़ाये बर हिंदी के अध्यय म संघरा दे हे जेखर से लईका मन हिंदी के संग म छत्तीसगढ़ी ल पढत हे जेखर से छत्तीसगढ़ी भासा सीखे के जेन महातम हवय वो ह गंवा जात हे, काबर ही छत्तीसगढ़ी भासा ह अपन आप म समृद्ध हवय, अब वोला हिंदी के संग म पढ़ाये ले छत्तीसगढ़ी के महातम कम हो जाथे, लईका मन छत्तीसगढ़ी के अनुवाद म हिंदी ल समझत हे, जेखर से छत्तीसगढ़ी भासा के प्रति जेन सिक्छा लईका ल मिलना रहिस हे तेन नइ मिल पात हे।

अनिल कुमार पाली
तारबाहर बिलासपुर

Post a Comment

0 Comments