ठग-जग जन के बने हे संघ…!!
ठग-जग जन के बने हे संघ…!
ईंखर करेजा म भरे प्रपंच…!!
रोंठ मनखे…पोठ चंदा
डाँड़ के पइसा चलही धंधा
कपटी मन के साझा मंच…!
ईंखर करेजा म भरे प्रपंच…!!
काला-काला मैं धूर्त कहवँ
चुप रहिके फेर कतेक सहवँ
खून अउँटत हे देख के संग…!
ईंकर करेजा म भरे प्रपंच…!!
पासा चले बर भारी सुजान
एक-दूसर बर खुद ए महान
टेटका घिरिया कस बदलयँ रंग…!
ईंखर करेजा म भरे प्रपंच…!!
पहिली कहिन एक मंच म आबो
राजनैतिक लाभ उठाबो
अब दुहीं समाज ल रहिके संग…!
ईंखर करेजा म भरे प्रपंच…!!
नागपंचमी के सुभ दिन म
दिखीस जहर हे सब के मन म
करिया मन उज्जर बिषदंत…!
ईंखर करेजा म भरे प्रपंच…!!
जाति धरम के मेटइया मन
डाँड़ के नावँ म दिहीं खूब धन
खाहीं कमीसन मचाहीं हुड़दंग…!
ईंखर करेजा म भरे प्रपंच…!!
जम्मे बिखहर ठुढ़िया गइन
दउँरी कस बइला फंदा गइन
समाज के पइसा म आही रंग…!
ईंखर करेजा म भरे प्रपंच…!!
कवि- जोहन भार्गव जी
गड़रिया समाज सेंदरी बिलासपुर…!!
0 Comments
अपने विचार सुझाव यहाँ लिख कर हमें भेजें।