बाह्वन रैदास कसाई हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई, छत्तीसगढ़ी कविता जोहन भार्गव जी।

 

साने म नईं हे बड़ाई…!!



बाह्वन रैदास कसाई हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई !!
अंतर रइथे नसल जिनिस म साने म नई हे बड़ाई !!

सब कुसियार ह गुरतुर होथे
खाँड़ गुड़ अउ सक्कर दे थे
ओखर पहिली सब कुसियार के होथे धोवइ रोखाई !
बाह्वन रैदास कसाई हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई !!

कुसियार खेत म कोनों बोवय
जेन पावय तेन लुवय सकेलय
अइसनेच गोठ ए भइया मन गुड़ खाँड़ के मिंझरा कराई !
बाह्वन रैदास कसाई हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई  !!

कई किसिम के चाउँर बोवाथे
समो समो के कोन ए खाथे
एक जिनिस के सब्बे किसिम ल नईं होय मिंझरा खवाई !
बाह्वन रैदास कसाई हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई ‌!!

बाह्वन रैदास कसाई हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई !
अंतर रइथे नसल जिनिस म साने म नईं हे बड़ाई !!

कवि- जोहन भार्गव जी
सेंदरी बिलासपुर (छ.ग)
मो.न:- 7974025985

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