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कतका अकड़ तोर छाती म…!! कतका अकड़ तोर छाती म समाए हे ! अतका अकड़ झन गइन जउन आए हे !! सत्तर बछर के लटपट उमर ले के आए हस तभो ले घमंड के मारे छाती ल फुलाए हस तोर कस करोड़ों मनखे माटी म समाए हे ! अतका अकड़ झन गइन जउन आए हे !! अनगिनत बछर के दुनिया हमर बर अनंत हे अनगिनत बछर के सृष्टि सबके आदि अंत हे मौत ल सुन जान के मनखे स्वारथ बर पगलाए हे ! अतका अकड़ झन गइन जउन आए हे !! रेल म सवार हो के टिकिट ले के जावत चल जइसन जघा पाए हस वइसने म अमावत चल जनरल बोगी के सवारी सुते बर धकियाए हे ! अतका अकड़ झन गइन जउन आए हे !! मैं नेता मैं अफसर मैं बड़का तोप चंद…
अस्करुहा के नोहय जाड़ अस्करुहा के नोहय जाड़…दू म एक दवाई निमेर ! एक तो सुत सुपेती ओढ़ के या फेर जावँर जोड़ी मेर !! गरमी घानी घाम ह बइरी हवा झांझ बन सेंकय तन पछीना तर-तर तर-तर चूहय बियाकुल जीव बियाकुल मन लगय लुका के घरे म रौ झन ओढ़ दसा अंगरखओ ल हेर ! छानही ओरिया उलट जतन खेती म खंती ढेलवानी गरजय बादर लउकय बिजली धूँक-धूँक बरसय पानी पक्का घर म निथरे के डर माटी के घर म झिपारी घेर ! माघ फागुन के का कहना भारी सुग्घर दिन अउ रात कम्मल ओढ़ के रथिया पहा दिन बीतय अराम के साथ न जाड़ म गुरगुरावय चोला न सेंका-सेंका के तन ल पेर ! कवि- जोहन भार्गव जी से…
साने म नईं हे बड़ाई…!! बाह्वन रैदास कसाई हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई !! अंतर रइथे नसल जिनिस म साने म नई हे बड़ाई !! सब कुसियार ह गुरतुर होथे खाँड़ गुड़ अउ सक्कर दे थे ओखर पहिली सब कुसियार के होथे धोवइ रोखाई ! बाह्वन रैदास कसाई हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई !! कुसियार खेत म कोनों बोवय जेन पावय तेन लुवय सकेलय अइसनेच गोठ ए भइया मन गुड़ खाँड़ के मिंझरा कराई ! बाह्वन रैदास कसाई हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई !! कई किसिम के चाउँर बोवाथे समो समो के कोन ए खाथे एक जिनिस के सब्बे किसिम ल नईं होय मिंझरा खवाई ! बाह्वन रैदास कसाई हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई !! बाह…
दिवंगत बर महाभोज… !! रोवयँ कलप-कलप के सब झन घर के नर-नारी !! दिवंगत बर महाभोज दोष बड़ भारी !! एक तो बज्र के मार म कनिहा रटपटाय का जतन कर जीबो खाबो आँखी अंधमंधाय ऊपर ले पाखंड के तिकड़म दुराचारी ! दिवंगत बर महाभोज दोष बड़ भारी !! गंगा जल म दू ठन हाड़ा बोरे बर खरचा करम कांड म दसों हजार के पहिली ले करजा सोग म पेरात ल अउ, पेरय लाचारी ! दिवंगत बर महाभोज दोष बड़ भारी !! दाई कहय मोर पुतरी हिंट गे बुझा गे आँखी तन सुआरी के छटपटावय कटा गे पाँखी तभो ले निरदयी सगा बर कलेवा सुहाँरी ! दिवंगत बर महाभोज दोष बड़ भारी !! गिधवा रौना बन के झपटयँ दुखिया मन क…
जागव सनातनी मनखे…!! अश्लीलता ल छोड़ा ए हर सीखे के गुन नो हय ! फटाका के संग फोरा ए हर राखे के चीज नो हय !! जिनगी ल असान बनाथे मरियादा सदगुन जम्मों ! संस्कृति धरम ल बोवा झर जाय अवगुन जम्मों !! फिलिम अउ नसा के फेर म परे त जाबे धारो-धार ! तन ल बनाथें कामी लोभी धन बर दूनों पाकिटमार !! अजगर कस,ए फिलिम अउ नसा जिनगी के लिलइया ए संदेस जरी-बुटी कस थोरकिन अवगुन के बगरइया ए असुर कहाँ गैं असुरेच जानयँ देवता मन देवधाम गईन लेकिन असुर के जम्मे आदत मनखेच म समा गईन एक असुर रहय सकुनी नाव के भारी कपटी चाल ओकर भाई भतीजा ददा बबा ल लड़वाना भर काम ओकर ए आदत पच्चीस…
कहाँ गवाँ जाथे चंदा एक दिन…? घटत बुझावत देखते-देखत बुझा जाथे चंदा एक दिन ! सम्हलत अउ सकेलत स्वयं लुका जाथे चंदा एक दिन !! हर मनखे के काया घलो ह चंदा कस बेवहार करय अंजरी ले काबा म आय अउ समाय के जतन करय पुर अंजोर पुन्नी कस नभ म छा जाथे चंदा एक दिन !! सम्हलत अउ सकेलत स्वयं लुका जाथे चंदा एक दिन !! पाँच तत्व म रचे-बसे एक अंस ओदर म रूप धरय नर-नारी के अकार बिचार म दाई के सब गुन तिरय हफ्ता महिना बछर पुरोवत अघा जाथे चंदा एक दिन !! सम्हलत अउ सकेलत स्वयं लुका जाथे चंदा एक दिन !! ढलती समै के बेर घलो आथे सबके जीवन म अंधेरी पाख के दिन बादर समाथे सबके…
कुरान पढ़े बर कहिथवँ मैं…!! गीता वेद कहइया ल क़ुरान पढ़े बर कहिथवँ मैं !! नियम धरम के नास्तिक ल संविधान पढ़े बर कहथवँ मैं !! अपन धरम ले उपर उठ के एक धरम बर सोंचव सब मानवता ले बढ़ के नोहय कोनों के रब समझव सब मानव के सभ्यता मनइया इंसान गढ़े बर कहिथवंँ मैं नियम धरम के नास्तिक ल संविधान पढ़े बर कहिथवँ मैं लटपट रोटी धोती छत ल जिनगी म सकेल पाथन दस प्रानी के कुटुम समेत दू परोसा दमेल पाथन तभो ले मद म चूर रहे बिन ईमान गढ़े बर कहिथवँ मैं नियम धरम के नास्तिक ल संविधान पढ़े बर कहिथवँ मैं आन के दोष बतावत गिनावत काया काया घूमत हन एक जनम ले दूसर तीसर क…
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